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दिनांक: 4 दिसंबर 2025

नई दिल्ली: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा आज शुरू हो गई है, जो पिछले चार वर्षों में उनकी पहली द्विपक्षीय यात्रा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हवाई अड्डे पर पुतिन का व्यक्तिगत स्वागत किया, जो राजनयिक प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए एक दुर्लभ इशारा है। यह यात्रा दोनों देशों के बीच “विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी” को मजबूत करने के उद्देश्य से है, खासकर वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों के बीच।

यात्रा का कार्यक्रम: 28 घंटों का व्यस्त एजेंडा

पुतिन दो दिवसीय यात्रा पर दिल्ली पहुंचे हैं, जो 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए है। शाम 4:30 बजे दिल्ली पहुंचने के बाद, वे सीधे प्रधानमंत्री मोदी के आधिकारिक आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर निजी डिनर के लिए रवाना हो गए। यह डिनर जुलाई 2024 में मॉस्को में मोदी को दिए गए इसी तरह के निमंत्रण का जवाब है।

कल (5 दिसंबर) का कार्यक्रम और भी व्यस्त रहेगा:

  • सुबह राजघाट पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करना।
  • रूसी राज्य प्रसारक आरटी (RT) के नए भारत चैनल का उद्घाटन।
  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ रूसी समकक्ष एंड्री बेलौसोव की 22वीं भारत-रूस सैन्य एवं सैन्य तकनीकी सहयोग अंतर-सरकारी आयोग बैठक।
  • दोपहर में प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता और हाइदराबाद हाउस में शिखर सम्मेलन।
  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा आयोजित राज्य भोज।
  • शाम 9:30 बजे यात्रा समाप्ति।

इस दौरान कई समझौतों पर हस्ताक्षर की उम्मीद है, जिसमें रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और प्रौद्योगिकी शामिल हैं।

आर्थिक संबंधों में तेजी: $100 अरब का लक्ष्य

भारत-रूस द्विपक्षीय व्यापार मार्च 2025 तक $68.72 अरब तक पहुंच गया है, जो 2020 के $8.1 अरब से कई गुना अधिक है। हालांकि, व्यापार असंतुलित है—भारत का निर्यात मात्र $4.88 अरब है, जबकि आयात $63.84 अरब। दोनों नेता 2030 तक $100 अरब व्यापार का लक्ष्य हासिल करने पर चर्चा करेंगे। रूसी तेल की खरीद, रक्षा सौदे (जैसे एस-400 सिस्टम) और कुशल भारतीय श्रमिकों की आपूर्ति प्रमुख मुद्दे हैं।

विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आगामी नीतियों के बीच यह बैठक भारत के लिए “हेजिंग” रणनीति है, जो अमेरिका पर निर्भरता कम करने में मदद करेगी। यूरोपीय दबाव के बावजूद, मोदी-पुतिन की गर्मजोशी भरी दोस्ती बरकरार है—सितंबर 2025 में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में दोनों ने हाथ थामकर हंसी-मजाक किया था।

रक्षा और ऊर्जा: मजबूत साझेदारी

रक्षा क्षेत्र में नई डील्स की संभावना है, जैसे उन्नत फाइटर जेट्स और वायु रक्षा प्रणालियां। रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता है। ऊर्जा के मोर्चे पर, छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMR) में सहयोग पर बात होगी। रूस यूक्रेन युद्ध के कारण अलग-थलग पड़ गया है, लेकिन भारत की तटस्थता ने इसे वैश्विक मंच पर समर्थन दिया है।

वैश्विक संदर्भ: ट्रंप युग में भारत की रणनीति

यह बैठक यूक्रेन युद्ध, चीन की बढ़ती ताकत और अमेरिकी टैरिफ्स के बीच हो रही है। पुतिन के लिए यह यात्रा पश्चिमी अलगाव को कम करने का संकेत है, जबकि मोदी वैश्विक दक्षिण का नेतृत्व करते हुए बहुपक्षीयता पर जोर देंगे। वराणसी में “भारत-रूस मित्रता मार्च” जैसे आयोजन दोनों देशों की जनता स्तर की दोस्ती को दर्शाते हैं।

निष्कर्ष: समय-परीक्षित मित्रता

पुतिन-मोदी बैठक न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगी, बल्कि वैश्विक शांति के लिए भारत की भूमिका को रेखांकित करेगी। देश दर्पण इस ऐतिहासिक क्षण को कवर करता रहेगा।

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