मुंबई | 1 दिसंबर 2025
महाराष्ट्र की सत्ताधारी महायुति गठबंधन में ये क्या हो रहा है? मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच चल रहा विवाद अब खुलकर सामने आ गया है। लोकल बॉडी चुनावों के ठीक पहले ये ‘दोस्ताना लड़ाई’ गठबंधन की नींव हिला रही है। शिंदे ने खुलासा किया कि दोनों नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप की खुली जंग हो चुकी है, तो वहीं फडणवीस ने ‘राम भक्त’ बनकर शिंदे के ‘रावण जलाने’ वाले बयान पर तंज कसा। क्या ये महायुति का अंतिम अध्याय है, या फिर चुनावी रणनीति का हिस्सा? देश दर्पण की खास रिपोर्ट।
विवाद की जड़: पैसे, पोचिंग और पावर शेयरिंग
महाराष्ट्र में लोकल बॉडी चुनावों की घोषणा के साथ ही महायुति के दो प्रमुख दलों – बीजेपी और शिंदे शिवसेना – के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। मुख्य कारण?
- पोचिंग का खेल: बीजेपी पर शिंदे शिवसेना के पूर्व कॉर्पोरेटरों को तोड़ने का आरोप। शिंदे ने फडणवीस से बात कर ‘नो पोचिंग पैक्ट’ किया, जिसमें तय हुआ कि बीजेपी शिवसेना के किसी कार्यकर्ता को नहीं लेगी और शिवसेना भी बीजेपी के को नहीं। लेकिन सिंधुदुर्ग जिले में नीलेश राणे (शिंदे शिवसेना) पर बीजेपी समर्थक के घर घुसपैठ का केस दर्ज होने से मामला और गरमा गया। मंत्री नितेश राणे (बीजेपी) के भाई नीलेश पर FIR, और फडणवीस का बयान – ‘जो सही व्यवहार करे, वही समर्थन पाएगा।’
- फंडिंग और क्रेडिट की जंग: शिंदे के मंत्री संजय सिरसाट ने बीजेपी नेता अशोक चव्हाण पर निशाना साधा, तो गुलाब पाटील ने अर्बन डेवलपमेंट मंत्रालय के फंड्स का जिक्र कर चुनावी खर्च पर इशारा किया। शिंदे का दर्द पुराना है – सीएम पद गंवाने का। विपक्षी शिवसेना (यूबीटी) के संजय राउत ने कहा, ‘शिंदे अभी भी सीएम कुर्सी के गम में डूबे हैं।’
- राम-रावण वाली टिप्पणी: फडणवीस ने एक रैली में कहा, ‘हम राम के भक्त हैं, लंका जलाने वाली भाषा क्यों? रावण राम का भाई नहीं हो सकता।’ ये शिंदे के ‘अहंकार’ वाले बयान पर तंज था, जो उद्धव ठाकरे पर था लेकिन फडणवीस ने इसे पर्सनल बना दिया।
राज्य चुनाव आयोग का फैसला: चुनाव 20 दिसंबर तक टले
विवाद के बीच महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग (SEC) ने पुणे जिले के कई नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों के चुनाव 20 दिसंबर तक टाल दिए। वजह – कोर्ट के फैसले लेट होने से। शिंदे ने छत्रपती संभाजीनगर में कहा, ‘हां, आरोप-प्रत्यारोप हुए हैं, लेकिन चुनाव लोकल इश्यूज पर रहें। कार्यकर्ताओं का संघर्ष हमारा है।’ फडणवीस ने भी जोर दिया – ‘विकास और कार्यकर्ताओं पर फोकस, न कि नेताओं की लड़ाई पर।’
महायुति में ‘अलाइंस धर्म’ की दुविधा
शिंदे ने फडणवीस से मुलाकात के बाद कहा, ‘हम अलाइंस धर्म निभाते हैं, उम्मीद है बाकी भी निभाएंगे।’ लेकिन सितंबर में ही शिंदे ने रिजर्वेशन क्रेडिट पर कहा था, ‘हम टीम हैं, क्रेडिट की होड़ नहीं।’ विपक्ष एमवीए इसका फायदा उठा रहा है। कांग्रेस ने फडणवीस पर इस्तीफे की मांग की, तो एनसीपी (एसपी) ने महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाए।
| मुद्दा | शिंदे का पक्ष | फडणवीस का पक्ष |
|---|---|---|
| पोचिंग | बीजेपी पहले शुरू कर चुकी, अब पैक्ट | शिवसेना ने उल्हासनगर में शुरू किया |
| चुनावी भाषण | लोकल इश्यूज पर फोकस, आरोप मान्य | राम भक्ति, कोई टिप्पणी नहीं की |
| सीएम पद | पुराना दर्द, लेकिन टीम वर्क | विकास प्राथमिकता, कोई राइवलरी नहीं |
क्या कहते हैं जानकार?
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. सुनील पाल कहते हैं, ‘ये विवाद लोकल चुनावों का असर है। महायुति को 2029 लोकसभा के लिए एकजुट रहना होगा, वरना एमवीए फायदा उठाएगा।’ शिंदे ने मीडिया को दोष दिया – ‘इलेक्ट्रॉनिक मीडिया गलत धारणा बनाता है।’ फडणवीस ने भी कहा, ‘शिंदे से मिलना टाला क्योंकि व्यस्तता।’
महाराष्ट्र की राजनीति में ये ‘फ्रेंडली फाइट’ कब बनेगी ‘फुल ब्लो वॉर’? 20 दिसंबर के चुनाव नतीजे बताएंगे। तब तक महायुति को ‘अलाइंस धर्म’ याद रखना होगा, वरना गठबंधन की लंका जल सकती है!
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