
भारतीय सिनेमा ने हमेशा से ही अपनी फ़िल्में, गाने, और अनेकों प्रस्तुतियों से दर्शकों को अपनी ओर आकृषित किया है। जब 2025 में सिनेमा की कई जानी-मानी ऐतहासिक फ़िल्मों ने अपनी गोल्डन-जुबली मनायी है तो कई फ़िल्मों ने अपने पाँच साल पूरे होने पर जश्न मनाया है। तो आइए देखते है इन्ही कुछ फ़िल्मों की हल्की सी झलक।
1975 (सिनेमा का स्वर्णिम युग)
1975 भारित्य सिनेमा ऐतहास का स्वर्णिम वर्ष था। इस ऐतहासिक साल में सिनेमा ने अपनी फ़िल्मों से ना केवल बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया बल्कि सिनेमा के मानकों को भी बदल कर रख दिया।तकनीकी रूप से सिनेमा उन्नत हुआ और कहानी कहने का तरीका अधिक व्यावसायिक और प्रभाव शाली होगया। इस वर्ष फ़िल्में सिर्फ़ मनोरंजन तक सीमित नहीं रही बल्की उन्होंने सामज के विभिन विषयों को भी उठाया जैसे संघर्ष, दोस्ती, बलिदान आदि। तो आइये याद करते है उन यादगार फ़िल्मों को जो आज भी हमारे दिलो में बसती हैं:-
शोले:- यह फ़िल्म भारतीय सिनेमा के लिए मील का पठार साबित हुई। रमेश सिप्पी द्वारा निर्देशित यह एक मल्टी-जेनर फ़िल्म है जिसमे एक्शन, ड्रामा, कॉमेडी और रोमांस का एक अद्भुत मिश्रण है।गाबर सिंह का किरदार आज भी भारतीय सिनेमा का सबसे यादगार विलेन मानना जाता है।
दीवार:- यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म ने “एंग्री यंग मैन “ की छवि को मजबूत किया। अभिताभ बच्चन और शशि कपूर की जोड़ी ने संघर्ष और भाईचारे को जिस तरह पेश किया वे लोगो के दिलों को आज भी याद है।
चुपके चुपके:- हृषिकेश मुखर्जी की कॉमेडी फ़िल्म ने दर्शकों को सरल लेकिन प्रभावशाली तरीक़े से मनोरंजन किया। धर्मेंद्र और अभिताभ की अदाकारी ने इसमें चार चाँद लगा दिए।
2020 (सिनेमा का नया अध्याय)
2020 का साल सिनेमा के लिए एक नई शुरुवात लेकर आया। महामारी के कारण सिनेमा को कई चुनौतियों का सामना करना पढ़ा। इस साल सिनमे एक पारंपरिक स्वरूप में बदलाव आया, लेकिन डिजिटल प्लेटफार्म ने कहानियों को दर्शकों तक पौहचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। लॉकडाउन में जब सिनेमा घर बंद थे, तब डिजिटल प्लेटफार्म ने दर्शकों को मनोरंजन के नए विकल्प दिए।तो आइए जानते हैं सिनेमा के पाँच साल पूरे क्रेन वाली फ़ीमीं के बारे में:-
तान्हाजी: थे अनसंग वारियर:- अजय देवगन एयर सैफ अलि ख़ान की यह फ़िल्म मराठा योध्या तान्हाजी मालुसरे की कहानी है। फ़िल्म ने ना केवल बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया बालिकी दर्शकों का भी डिल जीत लिया।
छिछोरे:- नितेश तिवारी निर्देशित व साजिद नाडियावाला द्वारा प्रोड्यूस और सुशांत सिंह राजपूत और श्रद्धा कपूर अभिनीति यह फ़िल्म जीवन के संघर्षों और दोस्ती पर आधारित थी। जिसने ना सिर्फ़ दर्शकों का मनोरंजन किया बल्की साथ ही साथ दर्शकों के लिए प्रेरणादायक साभित हुई।
गुलाबो-सिताबो:- यह एक कॉमेडी-ड्रामा फ़िल्म है जिसे शूजित सरकार ने निर्देशित और जूही चतुर्वेदी ने लिखा है। अभिताभ बच्चन और आयुष्मान खुरान अभिनीति यह फ़िल्म लखनऊ की एक दिलचस्प खानी है। इससे भी डिजिटल प्लेटफार्म पर रिलीज़ किया गया।
इन फ़िल्मों ने ना सिर्फ़ मनोरंजन प्रदान किया बल्की समाज को भी कई रूप से प्रभावित किया। 50 साल पुरानी फ़िल्में हमे भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम युग की याद दिलाती है, जबकि 5 साल पुरानी फ़िल्में वर्तमान समय की कहानियाँ और तकनीकी का अनुभव कराती है।
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