दिनांक: 6 दिसंबर 2025
कोलकाता: पश्चिम बंगाल के मुरशिदाबाद जिले के बेलडांगा में आज एक ऐतिहासिक घटना घटी, जब निलंबित तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) विधायक हुमायूं कबीर ने ‘बाबरी मस्जिद’ शैली में एक नई मस्जिद की नींव रखी। यह कार्यक्रम 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस की वर्षगांठ पर आयोजित किया गया, जो न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि राज्य की राजनीति में नई बहस छेड़ रहा है। हजारों की भीड़, सऊदी अरब से आए मौलवियों की मौजूदगी और भव्य भोज ने इस आयोजन को यादगार बना दिया, लेकिन साथ ही विवादों की आग भी भड़का दी।
आयोजन का भव्य स्वरूप: कुरान पाठ से लेकर बिरयानी भोज तक
सुबह 10 बजे से शुरू हुए इस कार्यक्रम में 25 एकड़ भूमि पर फैले मैदान में हजारों लोग जमा हुए, जो मुरशिदाबाद के अलावा नदिया, मालदा और उत्तर दिनाजपुर से भी आए थे। लोग भारतीय राष्ट्रीय ध्वज लहराते हुए ईंटें सिर पर रखकर पहुंचे, जो मस्जिद निर्माण का प्रतीक था। दोपहर में कुरान का पाठ हुआ, उसके बाद नींव का पत्थर रखा गया। ‘नारा-ए-तकबीर’ और ‘अल्लाहु अकबर’ के नारों से वातावरण गूंज उठा। सऊदी अरब से दो मौलवी विशेष रूप से आमंत्रित थे, जिन्होंने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
आयोजन की खास बात रही 40,000 मेहमानों और 20,000 स्थानीय निवासियों के लिए तैयार बिरयानी भोज। सात कैटरिंग एजेंसियों ने इसे तैयार किया, जिसमें अकेले भोजन पर 30 लाख रुपये खर्च हुए और कुल बजट 70 लाख से अधिक रहा। हुमायूं कबीर ने इसे ‘मुस्लिमों के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई’ बताया और कहा, “यहां बाबरी मस्जिद बनेगी।”
परियोजना की भव्य योजना: मस्जिद से लेकर अस्पताल तक
यह सिर्फ एक मस्जिद नहीं, बल्कि एक बड़ा कॉम्प्लेक्स होगा। मुख्य मस्जिद तीन एकड़ में बनेगी, जबकि कुल 300 करोड़ रुपये की लागत से 300 बेड का अस्पताल, हेलीपैड, होटल, स्कूल और मेडिकल कॉलेज भी शामिल होंगे। कबीर ने कहा कि फंड की कोई कमी नहीं होगी। यह परियोजना अयोध्या की मूल बाबरी मस्जिद की याद में बनाई जा रही है, जो 1992 में ध्वस्त हुई थी। कबीर ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए कहा, “ममता बनर्जी इतनी घमंडी हैं। अल्पसंख्यकों ने उन्हें वोट देकर मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन अब मैं उनका घमंड तोड़ूंगा।”
सुरक्षा व्यवस्था: किले जैसी चौकसी
मुरशिदाबाद, जहां 67% मुस्लिम आबादी है, एक संवेदनशील क्षेत्र है। आयोजन के दौरान 3,000 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात थे, जिसमें दंगा नियंत्रण बल और केंद्रीय बल शामिल थे। राष्ट्रीय राजमार्ग NH-12 को खुला रखने के लिए 3,000 स्वयंसेवक लगाए गए। कलकत्ता हाई कोर्ट ने शुक्रवार को आयोजन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन कानून-व्यवस्था बनाए रखने के सख्त निर्देश दिए।
राजनीतिक हलचल: टीएमसी का निलंबन, बीजेपी का हमला
हुमायूं कबीर को टीएमसी ने बुधवार को निलंबित कर दिया था, क्योंकि पार्टी ने इसे ‘सम्हाती दिवस’ (एकता दिवस) के रूप में मनाया और सांप्रदायिक सद्भाव पर जोर दिया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक्स पर पोस्ट किया, “एकता ही ताकत है… बंगाल की मिट्टी कभी विभाजन के आगे नहीं झुकी और न झुकेगी।” टीएमसी ने कबीर को बीजेपी का ‘एजेंट’ बताया।
विपक्षी बीजेपी ने इसे वोट बैंक की राजनीति करार दिया। बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कहा, “यह मस्जिद परियोजना धार्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक है, जो भावनाओं को भड़काने और वोट बैंक मजबूत करने के लिए है… ममता बनर्जी बंगाल को अशांति की ओर धकेल रही हैं।” वरिष्ठ नेता दिलीप घोष ने कहा, “मंदिर बन चुका है, अब बाबरी मस्जिद को भूल जाना चाहिए।” बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने नाम पर आपत्ति जताई, “इस्लाम में विश्वास करने वाले मस्जिद बनाएं, लेकिन बाबरी नाम पर आपत्ति है… यह आग से खेलना है।”
कबीर, जो पहले कांग्रेस और बीजेपी से जुड़े थे, ने 22 दिसंबर को नई पार्टी बनाने की घोषणा की और 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया।
ऐतिहासिक संदर्भ: 1992 का विध्वंस और आज की गूंज
1992 में 6 दिसंबर को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ध्वस्त हुई थी, जिसके बाद देशभर में दंगे भड़के। अब राम मंदिर बन चुका है, लेकिन कबीर की यह पहल पुरानी यादों को ताजा कर रही है। टीएमसी ने इसे सांप्रदायिक तनाव भड़काने की साजिश बताया, जबकि कबीर का दावा है कि षड्यंत्र रचे जा रहे थे, लेकिन पुलिस और प्रशासन ने पूरा सहयोग किया।
निष्कर्ष: एकता की परीक्षा या नई शुरुआत?
यह आयोजन बंगाल की राजनीति में नई हलचल पैदा कर रहा है, खासकर 2026 विधानसभा चुनावों से पहले। जहां एक ओर यह अल्पसंख्यकों के लिए प्रतिष्ठा का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर सांप्रदायिक सद्भाव की चुनौती। देश दर्पण इस घटना पर नजर रखेगा और अपडेट्स देता रहेगा।
लेखक: देश दर्पण संपादकीय टीम (हम न नफरत फैलाते हैं, न नजरें फेरते हैं – सिर्फ सच दिखाते हैं)