दिनांक: 6 दिसंबर 2025
अहमदाबाद: सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आज इंदिरा गांधी एयरलाइंस (इंडिगो) के उड़ानों में लगातार चौथे दिन आई खलबली ने यात्रियों को परेशान कर दिया। 35 उड़ानों के रद्द होने से हजारों यात्री फंस गए, लेकिन इस संकट के बीच नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) के दर्जन भर कार्यकर्ताओं ने एक अनोखा कदम उठाया। यात्रियों को पानी की बोतलें बांटते हुए एयरपोर्ट के बाहर विरोध प्रदर्शन करने की कोशिश की, जो पुलिस ने रोक लिया। यह घटना न केवल विमानन क्षेत्र के संकट को उजागर करती है, बल्कि छात्र संगठनों की सामाजिक जिम्मेदारी को भी रेखांकित करती है।
संकट की शुरुआत: 4 दिनों से जारी उड़ान रद्दीकरण का तांडव
इंडिगो एयरलाइंस का यह संकट गुरुवार से शुरू हुआ था, जब तकनीकी खराबी और कर्मचारी कमी के कारण दर्जनों उड़ानें रद्द हो गईं। आज शनिवार को कुल 72 उड़ानें प्रभावित हुईं – 35 प्रस्थान और 37 आगमन। एयरपोर्ट अधिकारियों के अनुसार, रात 12:01 बजे से अगली रात 11:59 बजे तक की यह रद्दीकरण यात्रियों के लिए आखिरी सिरे पर आ गई। वडोदरा से दिल्ली जा रहे एक यात्री धैवत ने बताया, “मैं शादी के लिए जा रहा था। तीन दिन से फंसा हूं। आज सुबह 11:50 बजे एयरपोर्ट पहुंचा, तो मैसेज आया कि उड़ान रद्द। अब बिना सामान के ही जाना पड़ेगा।” यात्रियों ने एयरलाइंस स्टाफ पर निशाना साधते हुए ‘इंडिगो हाय हाय’ और ‘इंडिगो मुरदाबाद’ के नारे लगाए।
एयरपोर्ट पर भारी भीड़ जमा हो गई, जहां सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (CISF) को अतिरिक्त जवान तैनात करने पड़े। गुस्साए यात्रियों ने स्टाफ से झड़प की, और कई को कनेक्टिंग फ्लाइट्स के लिए इंतजार करना पड़ा। दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे शहरों के लिए टिकटों की कीमतें 40,000 से 50,000 रुपये तक पहुंच गईं। एयरलाइंस ने विशेष हेल्प डेस्क लगाई, लेकिन यात्री स्पष्ट जानकारी न मिलने से नाराज रहे।
NSUI का अनोखा विरोध: पानी की बोतलें लेकर उतरे छात्र, पुलिस की हिरासत
इस बीच, NSUI के 12 से अधिक कार्यकर्ता एयरपोर्ट के बाहर पहुंचे। उनके हाथों में पानी की बोतलें थीं, जो फंसे यात्रियों को बांटने के लिए लाए थे। उनका उद्देश्य यात्रियों की परेशानी को उजागर करना और एयरलाइंस प्रबंधन पर दबाव बनाना था। एक NSUI कार्यकर्ता ने कहा, “हम छात्र हैं, लेकिन मानवता पहले। तीन-चार दिन से भूखे-प्यासे फंसे लोग देखकर चुप नहीं रह सकते। इंडिगो को जवाबदेह बनाना जरूरी है।” लेकिन प्रदर्शन की कोशिश करते ही पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जहां कई यूजर्स ने NSUI की तारीफ की।
NSUI गुजरात इकाई के एक प्रवक्ता ने बताया कि यह विरोध छात्र संगठन की सामाजिक जिम्मेदारी का हिस्सा है। “हम सिर्फ नारे नहीं लगाते, समस्याओं का समाधान भी ढूंढते हैं। यात्रियों को पानी देना हमारा छोटा सा प्रयास था, लेकिन सरकार और एयरलाइंस को सुविधाएं मुहैया करानी चाहिए।” पुलिस ने स्पष्ट किया कि सुरक्षा कारणों से प्रदर्शन की अनुमति नहीं थी, इसलिए कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया। सभी को बाद में रिहा कर दिया गया।
यात्रियों को राहत: रेलवे की स्पेशल ट्रेनें और सरकारी हस्तक्षेप
सरकार ने तुरंत कदम उठाए। पश्चिमी रेलवे ने अहमदाबाद के साबरमती और दिल्ली-सराय रोहिल्ला के बीच छह स्पेशल ट्रेनें चलाने का ऐलान किया। इसके अलावा, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एयरलाइंस को रिफंड देने और वैकल्पिक व्यवस्था करने के सख्त आदेश दिए। राजकोट एयरपोर्ट पर स्थिति बेहतर रही, जहां सिर्फ एक उड़ान रद्द हुई। लेकिन अहमदाबाद में फंसे हजारों यात्रियों के लिए यह राहत अपर्याप्त लग रही है। कई यात्री बिना चेक-इन बैगेज के ही रवाना हो रहे हैं, और एयरपोर्ट प्रबंधन ने सामान भेजने की विशेष व्यवस्था की है।
राजनीतिक रंग: विपक्ष का हमला, सरकार की सफाई
यह घटना राजनीतिक रंग ले चुकी है। कांग्रेस और NSUI ने केंद्र सरकार पर विमानन नीति की विफलता का आरोप लगाया। गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “मोदी सरकार का ‘मेक इन इंडिया’ विमानन क्षेत्र में फेल हो गया। यात्रियों की परेशानी को हल्के में न लें।” वहीं, बीजेपी ने इसे इंडिगो की आंतरिक समस्या बताया और राज्य सरकार की त्वरित कार्रवाई की सराहना की। विशेषज्ञों का मानना है कि यह संकट इंडिगो की एकाधिकार स्थिति और रखरखाव की कमी को उजागर करता है।
निष्कर्ष: यात्रियों का दर्द और सबक
अहमदाबाद एयरपोर्ट का यह संकट न केवल यात्रियों के लिए पीड़ा का कारण बना, बल्कि NSUI जैसे संगठनों की संवेदनशीलता को भी दिखाया। सरकार को अब स्थायी समाधान ढूंढना होगा, ताकि भविष्य में ऐसी अफरा-तफरी न हो। देश दर्पण इस घटना पर नजर बनाए रखेगा और अपडेट्स देता रहेगा।
लेखक: देश दर्पण संपादकीय टीम (हम न नफरत फैलाते हैं, न नजरें फेरते हैं – सिर्फ सच दिखाते हैं)