
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है, और यह चुनाव न केवल बिहार की सियासत बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। बिहार, जो अपनी जटिल जातिगत समीकरणों और गठबंधन की राजनीति के लिए जाना जाता है, इस बार एक नए सियासी परिदृश्य की ओर बढ़ रहा है। देश दर्पण के इस विशेष लेख में, हम बिहार चुनाव 2025 के प्रमुख मुद्दों, नए चेहरों और बदलते समीकरणों पर एक अनूठा दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं।
बदलता सियासी परिदृश्य
बिहार की राजनीति हमेशा से गठबंधन और जातिगत समीकरणों पर टिकी रही है। इस बार, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और महागठबंधन (इंडिया गठबंधन) के बीच टक्कर तो होगी ही, लेकिन एक नया खिलाड़ी, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, इस चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश कर रही है। जन सुराज ने सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, जिसमें कम से कम 40 सीटों पर महिला उम्मीदवार होंगी। यह कदम न केवल बिहार की पारंपरिक राजनीति को चुनौती देता है बल्कि युवा और महिला मतदाताओं को आकर्षित करने की रणनीति को भी दर्शाता है।
एनडीए: नीतीश का ‘मिशन 225’
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो बिहार के सबसे लंबे समय तक सत्तासीन मुख्यमंत्री हैं, इस बार अपने ‘मिशन 225’ के साथ मैदान में हैं। जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने सभी विधानसभा क्षेत्रों में सम्मेलन आयोजित करने की योजना बनाई है, जिसका उद्देश्य कार्यकर्ताओं को 225 सीटों के लक्ष्य के लिए प्रेरित करना है। नीतीश के नेतृत्व में एनडीए ने विकास योजनाओं, जैसे साइकिल योजना, कन्या विवाह योजना और महिला आरक्षण, को अपनी उपलब्धियों के रूप में पेश किया है। हालांकि, नीतीश की बार-बार गठबंधन बदलने की रणनीति और उनकी स्वास्थ्य संबंधी चर्चाएं उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठा रही हैं।
इसके अलावा, एनडीए के भीतर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता, जैसे सम्राट चौधरी और चिराग पासवान, भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल होने की चर्चा कर रहे हैं। चिराग पासवान का हालिया बयान, जिसमें उन्होंने कहा कि उनका “दिल बिहार में ही लगता है,” सियासी हलचल को और तेज करता है।
महागठबंधन: तेजस्वी का दांव
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव महागठबंधन के सबसे मजबूत चेहरे के रूप में उभरे हैं। एक हालिया सी-वोटर सर्वे के अनुसार, तेजस्वी बिहार के अगले मुख्यमंत्री के लिए सबसे पसंदीदा उम्मीदवार हैं। उनकी ‘माई बहिन मान योजना’ जैसी घोषणाएं, जो महिलाओं को आर्थिक सहायता का वादा करती हैं, मतदाताओं को लुभाने की कोशिश हैं। हालांकि, महागठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर सहमति बनाना है। आरजेडी जहां तेजस्वी के नेतृत्व पर जोर दे रही है, वहीं कांग्रेस और अन्य सहयोगी दल अभी इस मुद्दे पर खुलकर सामने नहीं आए हैं।
जन सुराज: प्रशांत किशोर का प्रयोग
चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी इस चुनाव में एक नया प्रयोग है। किशोर ने बिहार की सियासत को “जाति और धर्म की राजनीति” से बाहर निकालने का दावा किया है। उनकी पार्टी ने शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को केंद्र में रखा है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जन सुराज का प्रभाव कुछ शहरी और युवा मतदाताओं तक सीमित रह सकता है, लेकिन यह एनडीए और महागठबंधन के वोट बैंक को प्रभावित कर सकती है।
प्रमुख मुद्दे
बिहार चुनाव 2025 में कई मुद्दे मतदाताओं के मन को प्रभावित करेंगे। इनमें शामिल हैं:
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रोजगार और आर्थिक विकास: बिहार में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है। नीतीश सरकार ने लाखों नौकरियां देने का दावा किया है, लेकिन विपक्ष इसे अपर्याप्त बताता है। तेजस्वी की आर्थिक सहायता योजनाएं और प्रशांत किशोर का रोजगार-केंद्रित एजेंडा इस मुद्दे को और गर्माएगा।
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जातिगत समीकरण: बिहार की राजनीति में जाति का महत्व अब भी अहम है। छोटे दलों, जैसे जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी, अपने जातिगत वोट बैंकों के जरिए किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं।
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महिला मतदाता: बिहार में महिलाएं एक बड़ा वोट बैंक हैं। नीतीश की महिला सशक्तिकरण योजनाएं, तेजस्वी की ‘माई बहिन मान योजना’ और जन सुराज की महिला उम्मीदवारों पर जोर इस वर्ग को लुभाने की कोशिश हैं।
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कृषि और प्राकृतिक आपदाएं: हाल ही में आंधी-बारिश और बाढ़ ने बिहार के किसानों को भारी नुकसान पहुंचाया है। सरकार की राहत योजनाएं और विपक्ष की आलोचनाएं इस मुद्दे को चुनावी चर्चा का हिस्सा बनाएंगी।
एक नया दृष्टिकोण
बिहार चुनाव 2025 केवल सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि एक नए सियासी युग की शुरुआत हो सकता है। प्रशांत किशोर जैसे नए खिलाड़ियों का प्रवेश, युवा नेताओं का उभार और डिजिटल युग में सोशल मीडिया की भूमिका इस चुनाव को पहले से अलग बनाती है। बिहार के मतदाता, जो अब पहले से कहीं अधिक जागरूक हैं, इस बार नेताओं से ठोस वादों और पारदर्शिता की उम्मीद कर रहे हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 न केवल बिहार की दिशा तय करेगा, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन की राजनीति को भी प्रभावित करेगा। नीतीश कुमार की अनुभवी रणनीति, तेजस्वी यादव की युवा जोश और प्रशांत किशोर के नए प्रयोग के बीच यह चुनाव एक रोमांचक सियासी नाटक होने का वादा करता है। देश दर्पण की नजर इस सियासी रण पर बनी रहेगी, और हम आपको हर अपडेट के साथ जोड़े रखेंगे।