एचपीवी वैक्सीन क्या है, सही उम्र और महत्व: सर्वाइकल कैंसर से बचाव का प्रभावी उपाय

एचपीवी वैक्सीन क्या है?

एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमावायरस) वैक्सीन एक टीका है जो ह्यूमन पैपिलोमावायरस के कारण होने वाली बीमारियों, विशेष रूप से सर्वाइकल कैंसर, से बचाव करता है। एचपीवी एक सामान्य वायरस है जो यौन संपर्क के माध्यम से फैलता है और यह सर्वाइकल, गुदा, योनि, और अन्य प्रकार के कैंसर के साथ-साथ जननांग मस्सों (genital warts) का कारण बन सकता है। यह वैक्सीन एचपीवी के उच्च जोखिम वाले प्रकारों (जैसे HPV 16 और 18) के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है, जो सर्वाइकल कैंसर के अधिकांश मामलों के लिए जिम्मेदार हैं। भारत में उपलब्ध वैक्सीन में गार्डासिल 4, गार्डासिल 9 (मर्क शार्प एंड डोहम) और सर्वावैक (सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) शामिल हैं।

सही उम्र कौन सी है?

एचपीवी वैक्सीन सबसे प्रभावी तब होती है जब इसे यौन गतिविधि शुरू होने से पहले लगाया जाए। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारत के स्वास्थ्य विशेषज्ञ 9 से 14 वर्ष की आयु में वैक्सीन लगाने की सलाह देते हैं। इस आयु में दो खुराक (6 महीने के अंतराल पर) पर्याप्त होती हैं। 14 वर्ष से अधिक उम्र की लड़कियों और महिलाओं के लिए तीन खुराक (दूसरी खुराक 2 महीने बाद और तीसरी 6 महीने बाद) की आवश्यकता हो सकती है। पुरुषों के लिए भी यह वैक्सीन 9-26 वर्ष की आयु में अनुशंसित है, क्योंकि यह गुदा और पेनाइल कैंसर से बचाव कर सकती है। 45 वर्ष तक के वयस्क, जो पहले वैक्सीन नहीं ले पाए, भी इसे ले सकते हैं, लेकिन इसका प्रभाव कम हो सकता है।

भारत में स्थिति और हालिया खबरें

भारत में हर 8 मिनट में एक महिला सर्वाइकल कैंसर के कारण अपनी जान गंवाती है, जो इसे देश में महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर बनाता है। हाल के समाचारों के अनुसार, राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) ने एचपीवी वैक्सीन को राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल करने की सिफारिश की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय 9-14 वर्ष की लड़कियों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू करने की योजना बना रहा है, जिसमें फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम शामिल हैं।
पुणे और नोएडा जैसे शहरों में हाल ही में मुफ्त एचपीवी टीकाकरण अभियान शुरू किए गए हैं, और बेंगलुरु में 500 वंचित लड़कियों को मुफ्त वैक्सीन दी गई। इसके अलावा, सीरम इंस्टीट्यूट की सर्वावैक वैक्सीन, जो अन्य वैक्सीन की तुलना में सस्ती (लगभग 2000 रुपये प्रति खुराक) है, ने इसे अधिक सुलभ बनाया है।

क्यों जरूरी है यह वैक्सीन?

कैंसर से बचाव: एचपीवी वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर के जोखिम को 90% तक कम कर सकती है। यह अन्य कैंसर जैसे गुदा, योनि, और ओरल कैंसर से भी बचाव करती है।
सुरक्षित और प्रभावी: 125 देशों में पिछले दो दशकों में वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभावशीलता सिद्ध हो चुकी है।
लागत प्रभावी: स्वदेशी वैक्सीन जैसे सर्वावैक ने लागत को कम किया है, जिससे यह अधिक लोगों के लिए सुलभ है।

चुनौतियां और भ्रांतियां

भारत में एचपीवी वैक्सीन के रोलआउट में देरी के पीछे लागत, जागरूकता की कमी, और गलत सूचनाएं प्रमुख कारण हैं। कुछ लोग वैक्सीन को लेकर गलत धारणाएं रखते हैं, जैसे कि यह असुरक्षित है या केवल लड़कियों के लिए है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है और लड़के-लड़कियों दोनों के लिए जरूरी है।

निष्कर्ष

एचपीवी वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों से बचाव का एक प्रभावी और सुरक्षित तरीका है। भारत सरकार इसे राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल करने की दिशा में काम कर रही है, जो लाखों जिंदगियों को बचा सकता है। माता-पिता और युवाओं को इसके बारे में जागरूक होने और समय पर टीकाकरण कराने की जरूरत है। यदि आप या आपका परिवार इस वैक्सीन के बारे में और जानना चाहता है, तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या चिकित्सक से संपर्क करें।

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