
भारत एक ऐसा देश है जहाँ संगीत खून की तरह हर एक इंसान की रगों में बहता है। प्राचीन काल के रागों की तरण से लेकर लोक गीत की उत्साहित धुनों और आज की मनमोहक फ्यूज़न शैलियों तक, भारतीय संगीत संस्कृति, इतिहास और रचनात्मकता का एक मधुर मिश्रण है। यह सीमा तोड़कर, दिलों को जोड़कर मन को प्रेरित करता है। तो आइए ले चलते है आपको इस गीतशील तान-बना में।
भारतीय शास्त्रीय संगीत
भारतीय शास्त्रीय संगीत सिर्फ सुरों का संगम नहीं है बल्कि- यह एक आध्यात्मिक अनुभव है। हिंदुस्तानी और कार्नटिक संगीत दो प्रकार में बटा हुआ है- ये राग (संगीतात्मक रचनाएँ) और ताल (लयबद्ध पैटर्न) का उपयोग करते हुए ये ऐसी ध्वनि उत्पन्न करता है, जो आत्मा को छू जाती है।
पंडित रवि शंकर, एम एस सुब्बुलक्ष्मी और उस्ताद ज़ाकिर हुसैन जैसे महान कलाकारों ने इसे धरोहर को ना सिर्फ़ संजोया है बल्कि इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मुकाम हासिल किया है।
लोक गीत
लोक संगीत भारत की धड़कन है। हर गाँव, हर शेत्र का अपना एक अनोखा लोक गीत होता है जो वहाँ की परंपराओं , भैगोलिकत और जीवनशैली को दर्शाता है। राजस्थान के मँगनियार गीतों से लेकर पंजाब के ऊर्जावान भांगड़ा और बोली और असम की बिहू की शांति तक, लोक गीत हर भारतीय की भावनाओं को व्यक्त करता है।
तेजन बाई और बंगाल के बाउल गीतों को प्रस्तुत करने वाले समूह जैसे कलाकार इस धरोहर को संजोय हुए है। आज, माटी बानी जैसे युवा कलकार लोक परंपरों को आधुनिक ध्वनियों और वाघ यंत्रों के साथ पुनर्जीवित कर रहे है।
समकालीन फ्यूज़न:- परम्परा और आधुनिकता का संगम
आज की फ्यूज़न शैलियाँ परम्परा और आधुनिकता के बीच की दूरी मिटा रही है। भारतीय फ़िल्म संगीत के उस्तादों जैसे ए आर रहमान द्वारा निर्देशित, शास्त्रीय, लोक और आधुनिक तत्वों को मिलकर ऐसी धुन बनती है जो ना सिर्फ़ हमारे देश बल्कि वैश्विक स्तर पर भी लोगो के मन को भाती है। इंडी बैंड्स जैसे इंडियन ओशन और कोक स्टूडियो के कलकार शास्त्रीय रागों, लोक गीतों और जैज़/ब्लूज़ शैलियों के साथ प्रयोग करते हैं।
भारतीय संगीत विरासत की आरके ऐसी धरोहर है जो पीढ़ियों और संस्कृतियों को जोड़ती है।पीड़ी-डर-पीड़ी चली आ रही कला की कोई सीमा नहीं है। युवा संगीतकार सीमाओं को ना सिर्फ़ पुनर्परिभाषित कर रहे है, बल्कि अपनी जड़ों का सम्मान करते हुए इस धरोहर को संजोय रहे है।