
मधुबनी, 25 अप्रैल 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के मधुबनी जिले में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर एक विशाल जनसभा को संबोधित किया। यह उनकी दो महीने बाद बिहार की दूसरी यात्रा थी, और यह दौरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद हुआ। पीएम मोदी ने बिहार की धरती से आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश दिया और पाकिस्तान को स्पष्ट चेतावनी दी।
पहलगाम हमले के बाद पहली सार्वजनिक रैली
22 अप्रैल को पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकियों ने पर्यटकों पर कायराना हमला किया था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे और 17 घायल हुए थे। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली थी। हमले के बाद पीएम मोदी ने सऊदी अरब का दौरा बीच में छोड़कर भारत लौटने का फैसला किया था और गृह मंत्री अमित शाह को श्रीनगर भेजकर स्थिति की समीक्षा करने के निर्देश दिए थे। मधुबनी में हुई रैली पहलगाम हमले के बाद उनकी पहली सार्वजनिक सभा थी, जिसके चलते पूरे देश की नजरें उनके बयान पर टिकी थीं।
, पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आतंकवाद के खिलाफ भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को दोहराया और आतंकियों व उनके समर्थकों को कड़ी सजा देने का ऐलान किया। उन्होंने अपने संदेश को हिंदी और अंग्रेजी दोनों में दिया, ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय तक भारत का रुख स्पष्ट हो सके।
बिहार को विकास की सौगात
पहलगाम हमले के गमगीन माहौल के बावजूद, पीएम मोदी का बिहार दौरा विकास परियोजनाओं के लिहाज से भी महत्वपूर्ण था। मधुबनी के झंझारपुर में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने 13,480 करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इनमें रेल, बिजली, और बुनियादी ढांचे से जुड़े प्रोजेक्ट्स शामिल थे, जो बिहार में रोजगार के नए अवसर पैदा करेंगे। खास तौर पर अमृत भारत एक्सप्रेस, जो सहरसा से मुंबई तक चलेगी, प्रवासी मजदूरों, छात्रों और व्यापारियों के लिए एक किफायती और तेज यात्रा विकल्प प्रदान करेगी। इसके अलावा, पीएम मोदी ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की, जो मिथिलांचल क्षेत्र के लिए गर्व का विषय था।
आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का संदेश
पहलगाम हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इस हमले में मारे गए लोगों में विभिन्न राज्यों के पर्यटक शामिल थे, जिनमें बिहार के कुछ लोग भी थे। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में देश की एकजुटता पर जोर दिया और यह संदेश दिया कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में सभी देशवासी एक साथ खड़े हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह, और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी व विजय सिन्हा ने भी इस कार्यक्रम में मंच साझा किया, जो राजग की एकजुटता को दर्शाता था।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा को लेकर कोई कोताही नहीं बरती गई थी। मधुबनी और आसपास के इलाकों में हाई अलर्ट जारी किया गया था। दरभंगा, मधुबनी, और जयनगर रेलवे स्टेशनों पर एटीएस, बम निरोधक दस्ते, और डॉग स्क्वॉड की टीमें तैनात थीं। नेपाल सीमा पर भी सशस्त्र सीमा बल (SSB) की कड़ी निगरानी थी। पूरे क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया गया था, ताकि किसी भी तरह की अनहोनी को रोका जा सके।
चुनावी माहौल को गर्माने की तैयारी
यह रैली न केवल आतंकवाद के खिलाफ संदेश देने का मंच थी, बल्कि आगामी बिहार विधानसभा चुनावों के लिए भी माहौल बनाने का अवसर थी। मिथिलांचल क्षेत्र में राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के लिए समर्थन जुटाने और डबल इंजन सरकार की उपलब्धियों को जनता तक पहुँचाने का लक्ष्य था। भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने इस रैली के लिए व्यापक तैयारियाँ की थीं, जिसमें 10 जिलों के कार्यकर्ताओं को शामिल किया गया था।
देश की उम्मीदें
पहलगाम हमले के बाद देशवासियों की नजरें पीएम मोदी पर टिकी थीं। लोगों ने उम्मीद की थी कि भारत इस हमले का कड़ा जवाब देगा, जैसा कि पहले उरी और पुलवामा हमलों के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के रूप में देखा गया था। पीएम मोदी का यह संबोधन न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश और विश्व समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश था।