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भारत एक ऐसा देश है, जहां प्रकृति और मानव की साझेदारी से बने विशाल संरचनाएं न केवल विकास का प्रतीक हैं, बल्कि पर्यटन और अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। डैम (बांध) भारत की सिंचाई, जलविद्युत उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण और पेयजल आपूर्ति की रीढ़ हैं। आज हम आपको भारत के 10 सबसे बड़े और भव्य डैम की यात्रा पर ले जाते हैं, जहां उनकी ऊंचाई, लंबाई और जलाशय की क्षमता इनकी महत्ता को दर्शाती है। इन डैम की कहानियां और उनकी लोकेशन्स की खूबसूरती आपको हैरान कर देंगी!

 

1. टिहरी बांध: उत्तराखंड का गौरव

टिहरी बांध, भारत का सबसे ऊँचा बांध (261 मीटर), भागीरथी नदी पर स्थित है और 1,000 मेगावाट जलविद्युत पैदा करता है। 2006 में पूरा हुआ, यह सिंचाई और पेयजल आपूर्ति के लिए भी महत्वपूर्ण है। हालांकि, इसके निर्माण से विस्थापन और पर्यावरणीय चिंताएं उठीं। टिहरी झील अब पर्यटन का केंद्र है।

  • लोकेशन: उत्तराखंड, भागीरथी नदी पर
  • विशेषता: 261 मीटर की ऊंचाई के साथ यह भारत का सबसे ऊँचा बांध है। इसकी लंबाई 575 मीटर है और यह जलविद्युत (1,000 मेगावाट) के साथ-साथ सिंचाई और पेयजल आपूर्ति के लिए इस्तेमाल होता है।
  • कहानी: टिहरी बांध का निर्माण 1978 में शुरू हुआ था और 2006 में पूरा हुआ। यह न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से उल्लेखनीय है, बल्कि पर्यावरणीय और सामाजिक चुनौतियों का भी प्रतीक है। इसके पास की टिहरी झील पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

 

2. भाखड़ा नांगल बांध: पंजाब और हिमाचल का जीवनदाता

  • लोकेशन: हिमाचल प्रदेश और पंजाब की सीमा पर, सतलुज नदी पर
  • विशेषता: 225 मीटर की ऊंचाई के साथ यह भारत का दूसरा सबसे ऊँचा बांध है। इसका जलाशय ‘गोबिंद सागर’ के नाम से प्रसिद्ध है और यह क्षेत्र में सिंचाई और जलविद्युत (1,325 मेगावाट) के लिए महत्वपूर्ण है।
  • कहानी: 1963 में पूरा हुआ यह बांध आजादी के बाद की भारत की बड़ी परियोजनाओं में से एक था। इसे ‘मॉडर्न भारत का मंदिर’ भी कहा जाता है।

 

3. सरदार सरोवर बांध: नर्मदा की अनमोल देन

  • लोकेशन: गुजरात, नर्मदा नदी पर
  • विशेषता: 138 मीटर ऊँचा और 1.2 किलोमीटर लंबा, यह बांध गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान को लाभ पहुँचाता है। यह सिंचाई, जलविद्युत (1,450 मेगावाट) और पेयजल के लिए जाना जाता है।
  • कहानी: सरदार सरोवर विवादास्पद रहा है, लेकिन इसका जलाशय क्षेत्र में सूखे से लड़ने में मददगार साबित हुआ है। इसके पास की नर्मदा घाटी की सुंदरता पर्यटकों को आकर्षित करती है।

 

4. हीराकुंड बांध: ओडिशा की लंबाई का रिकॉर्ड

  • लोकेशन: ओडिशा, महानदी पर
  • विशेषता: 25.8 किलोमीटर की लंबाई के साथ यह दुनिया का सबसे लंबा मानव निर्मित बांध है। इसकी ऊंचाई 60.96 मीटर है और यह जलविद्युत (347.5 मेगावाट) और सिंचाई के लिए उपयोगी है।
  • कहानी: 1957 में पूरा हुआ यह बांध ओडिशा के कृषि क्षेत्र को समृद्ध बनाने में अहम भूमिका निभाता है। इसके पास का क्षेत्र प्राकृतिक सुंदरता से भरा है।

 

5. नागार्जुन सागर बांध: दक्षिण भारत का गहना

  • लोकेशन: आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सीमा पर, कृष्णा नदी पर
  • विशेषता: 124 मीटर ऊँचा और 1.55 किलोमीटर लंबा, यह बांध सिंचाई और जलविद्युत उत्पादन के लिए बनाया गया है। इसका जलाशय क्षेत्र में हरियाली और जीवन लाता है।
  • कहानी: यह बांध 1967 में पूरा हुआ और दक्षिण भारत की कृषि क्रांति में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके पास का नागार्जुन सागर बौद्ध स्थल भी प्रसिद्ध है।

 

6. कोयना बांध: महाराष्ट्र की शक्ति

  • लोकेशन: महाराष्ट्र, कोयना नदी पर
  • विशेषता: 103 मीटर ऊँचा, यह बांध जलविद्युत (1,920 मेगावाट) के लिए जाना जाता है। यह क्षेत्र में बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई में भी मदद करता है।
  • कहानी: 1964 में बनकर तैयार हुआ यह बांध महाराष्ट्र की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करता है। इसके पास का क्षेत्र प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग है।

 

7. मसानजोर बांध: औद्योगिक विकास का आधार

  • लोकेशन: झारखंड और पश्चिम बंगाल की सीमा पर, बराकर नदी पर
  • विशेषता: 50.29 मीटर ऊँचा, यह बांध जलविद्युत और सिंचाई के साथ औद्योगिक क्षेत्रों को पानी की आपूर्ति करता है।
  • कहानी: 1957 में पूरा हुआ यह बांध क्षेत्र के विकास में मील का पत्थर साबित हुआ है।

 

8. इंदिरा सागर बांध: मध्य प्रदेश का विशाल जलाशय

  • लोकेशन: मध्य प्रदेश, नर्मदा नदी पर
  • विशेषता: यह बांध 1,000 मेगावाट जलविद्युत उत्पादन और सिंचाई के लिए बनाया गया है। इसका विशाल जलाशय क्षेत्र में बाढ़ नियंत्रण में भी मदद करता है।
  • कहानी: 2005 में पूरा हुआ यह बांध नर्मदा घाटी के विकास का एक हिस्सा है और पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है।

 

9. चंबल बांध: मध्य भारत की जीवनरेखा

  • लोकेशन: मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमा पर, चंबल नदी पर
  • विशेषता: गांधी सागर, राणा प्रताप सागर और जवाहर सागर जैसे तीन बांध मिलकर चंबल नदी पर जल प्रबंधन करते हैं। ये सिंचाई और जलविद्युत के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • कहानी: ये बांध 1950 और 1970 के दशक में बनाए गए थे और क्षेत्र में कृषि और ऊर्जा क्रांति लाए।

 

10. कृष्णा राजा सागर बांध: कर्नाटक की ऐतिहासिक धरोहर

  • लोकेशन: कर्नाटक, कावेरी नदी पर, मैसूर के पास
  • विशेषता: 39 मीटर ऊँचा और 2,620 मीटर लंबा, यह बांध सिंचाई और जलविद्युत के लिए बनाया गया था। इसके पास वृंदावन गार्डन पर्यटकों के लिए प्रसिद्ध है।
  • कहानी: 1932 में पूरा हुआ यह बांध मैसूर के राजा कृष्णराज वोडेयार के नाम पर रखा गया और आज भी क्षेत्र की जीवनरेखा है।

इन डैम की क्या है खासियत?

ये सभी डैम न केवल तकनीकी चमत्कार हैं, बल्कि वे पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और पर्यटन को भी प्रभावित करते हैं। इनके पीछे की कहानियां, चुनौतियां और सफलताएं भारत की विकास यात्रा को दर्शाती हैं। इन स्थानों पर घूमने का अनुभव भी अद्भुत हो सकता है, जहां प्रकृति और मानव सृजन का संगम देखने को मिलता है।

निष्कर्ष

भारत के ये 10 सबसे बड़े डैम न केवल जल प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे हमारी सांस्कृतिक और तकनीकी धरोहर भी हैं। इनकी सुंदरता और उपयोगिता को समझने के लिए इन स्थानों की यात्रा जरूर करें। अगर आपको और जानकारी चाहिए या किसी विशेष डैम के बारे में जानना है, तो देश दर्पण न्यूज़ हमेशा आपके साथ है!

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